दुआ कहाँ है ,क़बूल होती है।

फ़ूल से ख़ुशबू जुदा होती नही है,
आशिक़ों की चाहत फ़ना होती नही है।
मुकम्मल इश्क़ की फरियाद तो है सब की,
पर सब दुआ कहाँ है क़बूल होती।

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