उमंग की पतंग
उमंग की पतंग संग बदलो में मैं चला,
खुला आसमान जो मिल पंख फैलाये में चला।
राह नई मिली मुझे द्रढ़ संकल्प कर चला,
उमंग की पतंग संग बदलो में में चला।
धारा से हु में जुड़ा बुलंदियों की चाह चला,
छोड़ मोह की बेड़ियों को नई राह में चला।
उमंग की पतंग संग बदलो में मैं चला,
खुला आसमान जो मिल पंख फैलाये में चला।
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