संदेश

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हक़ीक़त ऐ ज़िन्दगी,

अब कोई गिला नही अपनो से मुझे

छुपते फिरते रहे,

जरूरी था,

इश्क़ ऐ ग़ुरबते दिन

ऐसे तो मर ही जाएंगे हम,

शाम तुम्हारे साथ गुजारूं

विचलीत मन