जरूरी था,

जरूरी था,
ज़िन्दगी में कुछ सख्त कदम उठाना भी जरूरी था,
तेरी झूठी चाहत को ज़हन से मिटाना भी जरूरी था।
वफ़ा का झूठा पर्दा तेरे चेहरे से अब हटा दिया मैंने,
वेहम ऐ इश्क़ मेरा इस दिल से मिटा दिया मैंने।
अब तेरी यादों का जिक्र भी लाना ग़वारा न मुझे,
इस दिल पे दस्तक़-ऐ-इश्क़ तेरा अब ग़वारा नही है मुझे।
तन्हा रहने का भी अपना अलग सा मज़ा है,
बेवफा यार  के साथ रहना भी तो इक सज़ा है।

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