ऐसे तो मर ही जाएंगे हम,
ऐसे तो मर ही जाएंगे हम,
बिना तेरी चाहत कैसे रेह पाएंगे।
बेबाजाह की रुषवाई तेरी हम को जननी है,
अब रूबरू न हूऐ तो खुदा क़सम मर ही जाएंगे।
एक आखरी दफा बस गुफ्तगू करनी है,
इश्क़ की खता की किसने ये हमको जनना है ?
वेबक़त ही सही नक़ाब सारे उतर गए तेरे ,
वरना ताउम्र ये सोच के ही मर जाते हुई क्या थी खता हमसे।
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