अब कोई गिला नही अपनो से मुझे

अब कोई गिला नही अपनो से मुझे,
वक़्त पे बदल जाना ये फ़ितरत है उनकी।
ज़िन्दगी की राह अकेले ही इख्तियार करनी है,
बेबाजाह किसी का मोहताज क्यो रहू भला।
ये राह मेने चुनी है औऱ इम्तिहान है मेरे,
गिर के संभलना और ख़ुद को संभालना इम्तिहान है मेरे।
मना वक़्त मेरा नही है पर वक़्त बदल जायेगा,
जो साथ छोड़ गए उनके आगे रोना क्यो भला।
अब कोई गिला नही अपनो से मुझे,
ना कोई उमीद है अपनो से मुझे ।

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