तन्हाइयों का आलम है।

गुम हो जाता है वो नजाने क्यों आज कल,
बेसुध रहता है वो भरी महफ़िल में आज कल।
कुछ तो ख़लिश है उसके मन में आज कल,
वरना तन्हाइयों के आलम में क्यो खोता वो आज कल।

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