हाँ और ना के बीच
हाँ और ना के बीच में यू सिमट रही है ये जिंदगी,
अब सच और सच के बीच मे संघर्ष क्यू करती है ये जिंदगी।
भ्रांति का भी है मज़ा हक़ीक़त तो है एकदम जुदा,
हाँ और ना के बीच में यू सिमट रही है ये जिंदगी।
पलभर के निर्णय में क्यों ये मन अब है उलझ रहा,
यातनाएं खुद स्वयं को दे कर हाँ ओर ना में फिर उलझ रहा है ।
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