जून 23, 2020 खबर है तुमको, फिर बेख़बर क्यों खबर है तुमको सब मेरी, फिर बेखबरी का आलम क्यों। है इश्क़ मेरा मुनासिब, फिर तन्हाइयों का आलम क्यो। तुम जानते हो हलेदिल मेरा, फिर बेखबरी मुनासिब नही। पहचानते हो इस दिल को मुझसे ज्यादा तुम, फिर तिश्नगी क्यो मुमकिन नही।