इन दिनों एक अजीब सा कोहरा है, मंज़िल का पता है पर रास्तो ने हमे छोड़ा है। ख़्वाब मुकम्मल तो कर लूं में , मगर उलझनों ने नाता गेहरा जोड़ा है। फ़ना करने का कोई मौका उस ने ना अब छोड़ा है, जिंदगी
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