कुछ तो बात है
कुछ तो बात है यूँही तनहाई नही होती,
दुनिया की शोरगुल में एक्का एक तन्हाई तो नही होती।
है ख़लिश अब तो दिल के कमरे में भी,
तन्हाइयां जो उस में है अब बसती ।
दिल की दीवार भी अब बदजार है,
जो अब इश्क़ के रंग से मेहरूम है।
लबो पे मुस्कान तो अब भी होती है,
पर दिल मे तन्हाई अब भी है।
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