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खबर है तुमको, फिर बेख़बर क्यों

दरकार बार बार ये करती है।

वो नजाने क्यों ग़ुम हो जाता है,

तन्हा सफ़र

रंग मोहब्बत का,

हाँ और ना के बीच

मोहब्बत में बिछड़ने की चाहत थी क्या ?

तन्हाइयों का आलम है।

हर साँस शिकायत करती है,

उमंग की पतंग

निगाहों की भाषा

दुआ कहाँ है ,क़बूल होती है।