रौशनी का इक दरिया,
पुनः नई राह का ये उद्गम करता है।
ज़िन्दगी के घने अंधियारे को फ़ना करके,
प्रबल मनोबल ये करता है।
ज़िन्दगी के अन्तरदुयंद को ये हरता है,
चित्त को शिथिलता ये देता है।
रौशनी का इक दरिया,
ज़िन्दगी को नई उद्गमता देता है।
अंतरमन की उथलपुथल को,
शांत कर नया धय ये देता है।
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