"नादान मेहबूब मेरा"

ऐ मेरे नादान मेहबूब तू  किस उल्फ़त में है ,
जो सौप दिया मैंने अपने दिल की ज़ागीर तुझे ।
तो फिर अब किस कशमकश में है तू,
ऐतबार तो कर तू अपने दिल पर।
न पसंद हो तो इंकार कर दे तू ,
रुख़सत हम कर देंगे तेरी ज़िन्दगी से ।
पर तेरे दिल और जज़्बात से न खेलेंगे हम,
ऐ मेरे नादान मेहबूब प्यार तो तुझसे सदा करगें।
पर तेरा दिल कभी न तोड़ेंगे हम,
बस तू अपने दिल पे ऐतवार तो करले।
इबारत इश्क़ तेरे साथ हम लिख लगे,
तू थोड़ा सा प्यार तो कर ले।
अपने दिल मे ख्वाब तू कुछ मेरे लिए बुनले,
प्यार की नज़्म अब तू भी मेरे लिए लिख दे।

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