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मिला नहीं,

हक़ीक़त ऐ ज़िन्दगी,

अब कोई गिला नही अपनो से मुझे

छुपते फिरते रहे,

जरूरी था,

इश्क़ ऐ ग़ुरबते दिन

ऐसे तो मर ही जाएंगे हम,

शाम तुम्हारे साथ गुजारूं

विचलीत मन

Tum bin aab khush rehte he hum

सोचना पड़ा,

कुछ तो बात है

कोहरा

सामना हो गया,

तुम्हारी धुन में।

अलविदा

ज़िन्दगी तुम से गुलज़ार है माँ,

रौशनी का इक दरिया

अफ़सोस हुआ,

"नादान मेहबूब मेरा"

ज़िन्दगी तुझसे इश्क़ है

मेरा उसका साथ हो ऐसे जैसे।

तुम ही तो मेरी हीर हो

एक चेहरा जो मेरे हर दर्द को मिटा देता है